‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों”. दुष्यंत कुमार की ये बात सुपर-30 (Super-30) के संस्थापक आनंद कुमार के लिए ही बनी है. आनंद कुमार एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. आज इंजीनीयरिंग की तैयारी करने वाले सभी कैंडिडेटों के साथ देश में लाखों लोग उनके काम और पढ़ाने के तरीके की सराहना करते हैं. आज 1 जनवरी को आनंद कुमार का जन्मदिन है.
सुपर-30 का नाम
साल 1992 में उन्होंने अपने कोचिंग की स्थापना की और छात्रों को मैथ पढ़ाने लगे. यहां एक ही साल में छात्रों की संख्या 2 से बढ़कर 36 हो गए. बाद में कई गरीब छात्रों ने आनंद कुमार से निवेदन करने लगे कि वो IIT की तैयारी के लिए मंहगी कोचिंग फीस नहीं दे सकते. इसके बाद साल 2002 में आनंद कुमार ने सुपर-30 की स्थापना की. कहा जाता है कि इस सुपर-30 के 480 छात्रों में से 422 छात्र आईआईटी एक्जाम परीक्षा पास कर चुके हैं.
उनके जीवन की उपलब्धियां
आनंद कुमार के काम और समाज के लिए दिए जा रहे योगदान के लिए उन्हें साल 2023 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री के नवाजा. इसके अलावा टाइम मैगजीन ने साल 2010 में सुपर-30 को बेस्ट ऑफ एशिया का खिताब दिया. उसी साल उनको रामानुजन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया. इसके अलावा छात्रों को फ्री में शिक्षा देने के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. इसके साथ ही साल 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार मिल चुका है. उनके काम की तारीफ कनाडा, जर्मनी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा कर चुके हैं.
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